Editorial
Abstract
21वीं सदी में समाज के प्रत्येक क्षेत्र में स्त्री ने अपनी बुद्धि और क्षमता का परिचय दिया है। समाज को भी स्वीकार करना पड़ा कि स्त्री की क्षमताओं का उपयोग किये बगैर समाज का समग्र विकास संमभ नहीं है। स्त्री भी अपनी पारंपरिक छवि से बहार निकल कर समाज निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रही हैं। सर्वप्रथम वह बुद्ध ही थे जिन्होंने स्त्री को उसकी क्षमताओं से अवगत किया। स्त्रियों के लिए पुथक भिक्षुणी संघ की स्थापना करके उन्हें शिक्षित होने और निर्वाण प्राप्त करने का स्वतंत्र अवसार प्रदान किया। बुद्ध ने पंरपरा से चली आ रही जातीय व्यवस्था, स्त्री-पुरूष असमानता और रूढ़िवादी समाज को मानवता का संदेश दिया। बुद्ध के समय में पहली बार स्त्री को भीे पुरूष के समान अपनी क्षमताओं से परिचित होने का अवसर मिला। जिस ज्ञान और सत्ता पर पुरूष का एक छत्र राज था, बुद्ध के समय में इस निषेध क्षेत्र में स्त्रीयों का प्रवेश एक ऐतिहासिक घटना थी।