विश्व शांति एवं अध्यात्म चिंतन का मार्ग: बौद्ध धर्म

  • Sarvesh Kumar 9934190056
Keywords: विश्व शांति, अध्यात्म चिंतन का मार्ग, बौद्ध धर्म

Abstract

छठी शताब्दी ईसा पूर्व मानव समाज में आध्यात्मिक असंतोष और बौद्धिक उथल-पुथल के रूप में जाना जाता है। उसी समय चीन में लाओ-त्से और कर्नीयूषियस एवं यूनान में परमेनाइडीस और एंपेडोकल्स, ईरान में जरथुस्त्र और भारत में महावीर और बुद्ध जैसे कई सुविख्यात आचार्य का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने अपनी सांस्कृतिक धरोहर ध्यान-साधना का मार्ग 1⁄4अध्यात्म1⁄2 पर चितंन किया तथा समाज में नए दृष्टिकोण विकसित किए।
बौद्ध धर्म वैदिक कर्म-काण्ड, भोग-विलास, ऊँच-नीच, पाखण्ड की भावनाओं से उपर उठकर समतामूलक एवं व्यवहारिकता को अपना कर इस धरातल पर मानव के दुःख दर्द को लेकर विवेचन किया गया है। इस धर्म दर्षन में सभी स्थलों पर भाग्यवाद का खण्डन और कर्मवाद का मण्डन किया गया है। यह धर्म नैतिक नियमों पर आधारित सार्वभौम धर्म माना गया है। जिसमें ईष्वर के लिए कहीं कोई स्थान नहीं है। इस धर्म संस्कृ ति में समन्वयवादी विचारों की प्रधानता है। प्राचीन भारतीय धर्म दर्षन के सम्पूर्ण वाड़्मय में बुद्ध एक ऐसे चिन्तक हुए जिसने प्रचलित विचारधारा एवं चिंतन के विपरीत एक नई दिषा प्रदान किया। बुद्ध का अनात्मवाद उद्देष्यपूर्ण है तथा उनके समाजवादी, मानवतावादी और समतावादी विचार बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय पर आधारित है।

Published
2020-09-29