बौद्ध साहित्य में समाधि और विपस्सना: विष्लेषणात्मक अध्ययन

  • लिच्छिवी लिच्छिवी पी-एच.डी.षोधार्थी, बौद्ध अध्ययन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
Keywords: बौद्ध साहित्य में समाधि और विपस्सना

Abstract

राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ने ग्रहत्याग के बाद अपने जीवन के छः वर्ष तक कठिन तप किया अपने जीवन के छः वर्ष तक उन्होंने साधना,समाधि और विपस्सना का ही निरन्तर अभ्यास किया था। सिद्धार्थ गौतम ने समाधि और विपस्सना के अभ्यास से ही उन्हें सम्यक्् सम्बोधि की प्राप्ति हुई। सम्यक्् सम्बोधि प्राप्त के बाद ही सिद्धार्थ गौतम तथागत सम्यक्् सम्बुद्ध के नाम से पूरे विष्व में व्यख्यात हुये। सम्यक्् सम्बोधि प्राप्ति करने के बाद ही उनके हृदय में विष्व के हर प्राणी के प्रति मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा की भवना से आप्लावित हुए। भगवान बुद्ध ने इसे लगभग 2500 वर्ष पूर्व खोज निकाला था। बुद्धत्व प्राप्त करने के पस्चात 45 बर्षों तक धर्म का उपदेष दिया, वह नैतिक विचार,त्रिषिक्षा तथा विपस्सना के विषेषतत्वों पर अधिक बल दिया । क्योंकि जन-साधारण इस साधना से प्रत्यक्ष लाभान्वित होते है विपस्सना के अभ्यास से साधक का चित्त निर्मल होता है तथा षुद्ध होता है। ऐसे निर्मल चित्त से हर प्राणी के प्रति मैत्री, करुणा,मुदिता ओैर उपेक्षा की भावना रखते हुये कल्याण चाहता है। इन मैत्री,करुणा,मुदिता और उपेक्षा को ब्रह्मविहार भावना के नाम से जाना जाता है ।

Published
2022-01-31
How to Cite
लिच्छिवील. (2022). बौद्ध साहित्य में समाधि और विपस्सना: विष्लेषणात्मक अध्ययन. Bodhi Path, 22(1), 56-61. Retrieved from https://bodhi-path.com/index.php/Journal/article/view/100